भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इंस्पेक्टर जी भागे / बालकृष्ण गर्ग
Kavita Kosh से
नया-नया जब बना फूड-इंस्पेक्टर बुद्धू बंदर,
कहा रीछ- ‘माल चखाओ, जो दुकान के अंदर!’
तुरंत रीछ ने अदरक लाकर पेश कर दिया आगे,
अदरक चखते ही ‘थू-थू’ कर इंस्पेक्टर जी भागे।
[रचना: 22 दिसंबर 1995]