इकिसवी सदी में चलल गांव देखीं / प्रमोद कुमार तिवारी
इकिसवी सदी में चलल गांव देखीं
गरीबी लाचारी से भरल गांव देखीं
उजड़ल सपनवा के गठरी मिलल ह
सुराज जोहत एगो ठठरी मिलल ह
स्कूली के नांव प बस पटरी मिलल ह
टुकी-टुकी हो के पड़ल गांव देखीं...
इकिसवी सदी में चलल गांव देखीं
हीरो होंडा के धुंआ उड़ावेले बबुआ
भरोसा के पगहा तोड़ावेले बबुआ
बाबू के बुड़बक बनावेले बबुआ
अंइठेले कइसे तनी ताव देखीं...
इकिसवी सदी में चलल गांव देखीं
रोजे रोज कउआ उचारेली दुलहिन
चाचा आ बाबू के पुकारेली दुलहिन
तीजो में अबकी न आइल भाई
मने मन खूब रोअत होखी माई
चिरईं के छूटल आपन ठांव देखीं...
इकिसवी सदी में चलल गांव देखीं
मजे में कटत ह बतावेली भउजी
मुस्का के कनखी दबावेली भउजी
बियाह में का ह देरी अब त बतावऽ
ह दिल्ली में सेटिंग त हमके सुनावऽ
सपना से हकीकत भगावेली भउजी
मनहीं देवरानी के दउरा उतारेली भउजी
एहिजा के का हाल बताईं ए बबुआ
सूरत में जवानी जरा देले भइया
ओरवरटाइम बदे फगुआ गंवा देले भइया
डंहकत करेजा से लोर गिरावेली भउजी
सेठ के दरबानी में मिलत नांव देखीं...
इकिसवी सदी में चलल गांव देखीं
अंगूरी प स्कूटी नचावेले मुनिया
मोबाइल से टिकस कटावेले मुनिया
मास्टर के भुरकुस छोड़ावेले मुनिया
टीवी आ मुनिया के सरापेली आजी
बुजरी, मुंहझौसी बनावेली आजी
टूटल गोड़ लेले बेटा पुकारेली आजी
डाक्टर के हक आपन बतावेले मुनिया
बिदेसी बाप के करजा चुकावेले मुनिया
सुविधा के दुविधा से घिरल गांव देखीं...
इकिसवी सदी में चलल गांव देखीं