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इक्कीसवीं सदी / सांवर दइया
Kavita Kosh से
साव उघाड़ी
साटणिया साथळां
काकड़ियै-सा फाटता बूकीया
अर ए श्रीफळ
आंख्यां रातीचोळ
जाणै छक’र पी हुवै हथकढ़ी
जठै जावूं
म्हारै गळै पड़ै
आ उफणती नदी
नांव पूछूं तो एक ई उथळो-
म्हैं इक्कीसवीं सदी !
म्हैं इक्कीसवीं सदी !!