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इक किरन सी दिल में हर उम्मीद पलनी चाहिये / रंजना वर्मा

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इक किरन-सी दिल में हर उम्मीद पलनी चाहिए
हर अँधेरी राह पर इक शम्मा जलनी चाहिए

तीरगी करती इजाफ़ा हर पहर के साथ में
है अँधेरी रात लेकिन अब तो ढलनी चाहिए

एक दूजे को बुरा कहना है यूँ तो लाज़मी
गालियों की पर सियासत भी न चलनी चाहिए

बाप माँ की ही दुआ रहती हमेशा साथ है
उन दुआओं से बला हर दूर टलनी चाहिए

शायरों के पास दौलत है फ़क़त जज़्बात की
भावना की हिम शिला भी तो पिघलनी चाहिए

सह लिये हमने बहुत अब तक तशद्दुद के सितम
अब मगर इस नीति की सूरत बदलनी चाहिए

है नहीं पत्थर हिमालय दिल सरस इसका बहुत
प्रेम-रस की फिर कोई गंगा निकलनी चाहिए