इक ज़ात में ढलता हुआ सा अपना वजूद
क्या जान पे है सिर्फ रिदा अपना वजूद
देखें जो जमां मकां के पैराए में
है रुत की तरह एक फ़ज़ा अपना वजूद।
इक ज़ात में ढलता हुआ सा अपना वजूद
क्या जान पे है सिर्फ रिदा अपना वजूद
देखें जो जमां मकां के पैराए में
है रुत की तरह एक फ़ज़ा अपना वजूद।