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इक जो तेरा ख़याल है दिल में / रविकांत अनमोल
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इक जो तेरा ख़्याल है दिल में
दर्द-ओ-रंज-ओ-मलाल है दिल में
एक ताज़ा ग़ज़ल के हैं आसार
एक ताज़ा ख़्याल है दिल में
सोचता हूँ बयान कर ही दूँ
बात इक बे-मिसाल है दिल में
या तो ख़ुद का नहीं ख़्याल उसे
या किसी का ख़्याल है दिल में
दर्द तेरा संभाल कर मैंने
रक्खा कितने ही साल है दिल में
पूछता हूँ तो जान जाती है
एक ऐसा सवाल है दिल में
दीद की आस में खुली आँखें
इक उमीद-ए-विसाल है दिल में