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इक तीली, दो तार! / योगेन्द्र दत्त शर्मा
Kavita Kosh से
इक तीली, दो तार!
गुड्डा घोड़े पर सवार,
बनता नायब थानेदार,
सब पर रौब जमाता!
इक तीली, दो तार!
गुड़िया भी पूरी मक्कार,
बनती घर की नंबरदार
सब पर धौंस चलाती!
इक तीली, दो तार!
गुड्डा है पूरा फनकार,
लेकर तबला और सितार
फिल्मी गाने गाता!
इक तीली, दो तार!
गुड़िया भी है रौनकदार,
सजकर जाती रोज बजार
जमकर चाट उड़ाती!
इक तीली, दो तार!
गुड्डे-गुड़िया की तकरार,
पहुँची घर, बस्ती के पार
था भारी हंगामा!
इक तीली, दो तार!
गुड्डे की सुनकर फटकार
गुड़िया ने फिर की मनुहार,
कैसा रहा तमाशा!