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इक दम से / चरण जीत चरण
Kavita Kosh से
दिल निकलता ही नहीं इस ग़म से
तुमने भी छोड़ दिया इक दम से
तेरी तस्वीर रखी है लेकिन
प्यास बुझती है कहाँ शबनम से?
फिर तो कर लेती मुहब्बत दुनिया
जख्म भर जाते अगर मरहम से
क्या हुआ फ़िर से बता आई थी ?
एक आवाज़ मुझे भी छम से
दोस्त बन जायँ चलो कहने लगी
दिल मगर माना नहीं कुछ कम से
कश लगाने से लहू जलता है
यार वह कह के गई थी हमसे