इक दिन तो ऐसा आएगा जब रंग बरसता देखूँगा / प्राण शर्मा
इक दिन तो ऐसा आएगा जब रंग बरसता देखूँगा
तुझको भी हँसता देखूँगा, ख़ुद को भी हँसता देखूँगा
जाने क्यों मुझको लगता है, इक दिन ऐसा भी आयेगा
सागर होगा मेरे आगे, मैं ख़ुद को तरसता देखूँगा
ए काश, न मेरा दम निकले, उस वक़्त कि जब घर के बाहिर
उसके हाथों में मेरे लिए, प्यारा गुलदस्ता देखूँगा
नफरत से तंग आया हूँ मैं, इससे छुटकारा पाने को
जो प्यार के घर ले जाता हो, कोई ऐसा रस्ता देखूँगा
इतनी भी क्या ज़ल्दी है अभी, हालात बदल जाने दे कुछ
ए दोस्त तुझे रफ़्ता – रफ्त़ा, इस दिल में बसता देखूँगा
ए दोस्त, हमेशा अपनों का, विश्वास तो करना पड़ता है
तूने है दिया आने का वचन, जा, तेरा रस्ता देखूँगा
ये तो तय है ऊबड़ - खाबड़, रस्ते पे अगर मैं चलता हूँ
ए " प्राण " शिकंजा मुश्किल का, अपने पर कसता देखूँगा