इक दूजे में खोना है
चाँद गगन सा होना है
दो ही मौसम होते हैं
हँसना है या रोना है
जीवन की हर इक लय में
तेरा नाम पिरोना है
क्यूँ न उनको तोड़ ही दो
जिन रिश्तों को ढोना है
उजड़ी शाखें हरी रहें
बीज प्यार के बोना है
उसको पाने की ख़ातिर
उसमें ख़ुद को खोना है