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इक बार उनसे बात हो / रामश्याम 'हसीन'
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इक बार उनसे बात हो, ये चाहता हूँ मैं
हाथों में उनका हाथ हो, ये चाहता हूँ मैं
परवाह मुझे कब है ज़माना कहेगा क्या
हर वक़्त उनका साथ हो, ये चाहता हूँ मैं
कठिनाइयों की धूप में झूलसूँ में जब कभी
मन में शबे-बरात हो, ये चाहता हूँ मैं
जिसमें हमेशा प्यार की बातें हों हर तरफ़
इक ऐसी काइनात हो, ये चाहता हूँ मैं
क़ुदरत को जिसपे नाज़ हो, दुनिया को जिससे इश्क़
कुछ ऐसी मेरी ज़ात हो, ये चाहता हूँ मैं