Last modified on 19 अक्टूबर 2009, at 18:44

इक बार गले से उनके लगकर रो ले / जाँ निसार अख़्तर

इक बार गले से उनके लगकर रो ले
जाने को खड़े हैं उनसे क्या बोले

जज़्बात से घुट के रह गई है आवाज़
किस तरह से आँसुओं के फंदे खोले