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इक बार गले से उनके लगकर रो ले / जाँ निसार अख़्तर
Kavita Kosh से
इक बार गले से उनके लगकर रो ले
जाने को खड़े हैं उनसे क्या बोले
जज़्बात से घुट के रह गई है आवाज़
किस तरह से आँसुओं के फंदे खोले