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इक बुत बनाऊँगा तेरा और पूजा करूँगा / हसरत जयपुरी
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इक बुत बनाऊँगा तेरा और पूजा करूँगा
अरे मर जाऊँगा प्यार अगर मैं दूजा करूँगा
इक बुत बनाऊँगा ...
रूप की चाँदी प्यार का सोना प्रेम-नगर से ला के
तेरी सुन्दर छवि बनेगी दोनों चीज़ मिला के
रंग वफ़ा का मैं तेरी मूरत में भरूँगा
अरे मर जाऊँगा ...
मन-मंदिर में तुझको बिठाकर रोज़ करूँगा बातें
शाम-सवेरे हर मौसम में होंगी मुलाकातें
दिल का हाल कहूँगा तुझसे मैं ना डरूँगा
अरे मर जाऊँगा ...
दुनिया एक अजायबखाना लेकिन फिर भी फ़ानी
इस धरती पर अमर रहेगी मेरी प्रेम-कहानी
चाहे जितने रूप में आऊँ तेरा रहूँगा
अरे मर जाऊँगा ...
फ़िल्म : असली-नकली (1962)