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इक युवती / इमरोज़ / हरकीरत हकीर
Kavita Kosh से
दरिया के उस पार से
किसी की बांसुरी इस पार को
मस्त कर रही थी...
दरख्त से सटकर खड़ी एक युवती
अपना आप भूल कर बांसुरी सुन रही थी
पास खड़ा वक़्त
बांसुरी के साथ भी मस्त हो रहा था
और युवती को देख -देखकर भी
अच्छी लगती युवती को
वक़्त ने पूछ ही लिया
बीबी तुम हीर हो या सोहणी...?
घर से चली तो मैं हीर थी
यह दरिया पार करके मैं
सोहणी हो जाऊंगी...