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इच्छा / भास्कर चौधुरी
Kavita Kosh से
घास को देखो
बार-बार उग आते हैं
नाखून बार-बार बढ़ जाते हैं
वैसे ही बाल भी
कितनी ज़िद है इनमें
उम्र से ज़्यादा जीने की
इच्छा
बने रहने की...