मगर
सभ्यता का
तकाज़ा
आज भी वही है
उम्र के साथ -साथ
पाबन्दियाँ बढ़ें
देर रात से
पहले वह
घर लौट आये
पॉव
खाल - ऊँच
देखकर रक्खे
क्योंकि वह
एक लड़की है
मगर
सभ्यता का
तकाज़ा
आज भी वही है
उम्र के साथ -साथ
पाबन्दियाँ बढ़ें
देर रात से
पहले वह
घर लौट आये
पॉव
खाल - ऊँच
देखकर रक्खे
क्योंकि वह
एक लड़की है