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इज़्ज़तपुरम्-18 / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
दिहाड़ी पर
जिंदगी
डेहरी
ड्रम
छूँछे
कँगाली मानो
सिर से ऊपर
तीन दिन
बेटी नहीं गयी
काम पर
निकल आयीं
त्योरियों की
बरछियाँ
और पूरा परिवार
फाँके पर