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इज़्ज़तपुरम्-24 / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
कोसने से
नहीं बदलते
हालात
हालात के सृजक
मकड़जाल जैसे
तार से
तार को
फँसाकर
दूर तक
रखते हैं
मुक्ति के
अभियान पर
निकलें तभी
कटे फाँस