भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इज़्ज़तपुरम्-63 / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
सुखद
स्मृतियों के
नेाक घुसें
छाती में
तेज रक्तचाप हो
आहटों के पत्ते
यूँ पास से
स्पर्श करें
रेशे-रेशे शाख के
झकझोर उठें
व्यतीत
कटु अनुभव भी
अच्छे लगें
गहरी पौठ में
डूबी हुई
पलकें असम्भव की
प्रतीक्षा में
पूरी न बंद हों
न पूरी खुल सकें