भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इज़्ज़तपुरम्-86 / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
रेशा-रेशा
उखड़ गया
तार-तार
टूट गया
और मिली फाँकने को
रास्ते की धूल
नुमाइश देख
लौट चुके दर्शक
मेकअप
कालिख-रंग-पाउडर
अकेले खुरचो