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इण्टरमेत्सो / हाइनर म्युलर / उज्ज्वल भट्टाचार्य
Kavita Kosh से
तीन हफ़्तों से उम्ब्रिया के मेरे घर के कमरे में, जहाँ मैं यह लिख रहा हूँ, मेरे नज़दीक एक कुर्सी से अपने ही सू्त्र से एक मकड़ी लटक रही है । लगता है दो हफ़्तों से वह बिना खुराक के ही जीती रही है । एक हफ़्ते से वह खुली खिड़की से हवा बहने पर ही हिलती-डुलती रही है, लेकिन जिस सूत्र से वह लटक रही है, वह उसे थामे हुए है । कल टीवी के ऊपर रखे लैम्प के नीचे एक नन्हीं तितली की मौत हो गई, वह बेमौसम बर्फ़बारी से पस्त हो चुकी थी । मैंने उसे खिड़की से बाहर फेंक दिया । आज मुझे घर के पीछे उसके दोनों पंख पड़े मिले, बदन का कोई अता-पता न था । हर पंख पर एक आँख बनी हुई थी । यह पाठ उम्ब्रिया की मुर्दा तितली और मकड़ी को समर्पित है ।
मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य