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इण रम्मत में / सांवर दइया
Kavita Kosh से
म्हैं जीतूं अर तूं हारै
का पछै
तूं जीतै
अर म्हैं हारूं
तो इण सूं कांई फरक पड़ै ?
सुण म्हारी मरवण !
आपणै बिच्चै
हार-जीत रा दावा ई बिरथा
तूं जीतणी चावै
तो जीत भलांई नित
म्हनै तो हार कबूल रोजीनै
म्हैं जाणू
इण रम्मत में
हार ई जीत है !