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इतना रोये थे लिपट कर दरो दीवार से हम / मुनव्वर राना
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इतना रोए थे लिपटकर दरो-दीवार से हम
शहर में आ के बहुत दिन रहे बीमार-से हम
अपने बिकने का बहुत दुख है हमें भी लेकिन
मुस्कुराते हुए मिलते हैँ ख़रीदार से हम
सुलह भी इससे हुई जंग में भी साथ रही
मुख़तलिफ़<ref>विभिन्न</ref> काम लिया करने हैं तलवार से हम
संग<ref>पत्थर
</ref>आते थे बहुत चारों तरफ़ से घर में
इसलिए डरते हैं अब शाख़े-समरदार<ref>फलों वाली डाली</ref> से हम
सायबाँ<ref>छ्ज्जा</ref>हो तेरा आँचल हो कि छत हो लेकिन
बच नहीं सकते हैं रुस्वाई की बौछार से हम
शब्दार्थ
<references/>