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इतना ही कहना है / पल्लवी त्रिवेदी

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तुम कोई डार्क चॉकलेट आइसक्रीम या ब्लूबेरी चीज़ पेस्ट्री नहीं हो
जिसे देखते ही मन ख़ुशी से भर उठे
तुम बर्फ से ढकी चोटियों और छलक कर बहती नदी के किनारे फूलों के बीच बना कॉटेज भी नहीं
कि बस देखते ही खिल उठूँ
न तुम रेशम का दुपट्टा हो, न डायमंड का नेकलेस कि मन बस छूने को मचल उठे
तुम एक गिलास ठंडा पानी हो,
एक छोटा सादा-सा घर हो
जेठ की दोपहर में एक सूती रूमाल हो
यार का पहनाया चांदी का छल्ला हो
तुम्हे देख धड़कनें उछाल नहीं मारतीं
साँसें भी ऊपर नीचे नहीं होतीं
तुम हो तो दिल धड़कता है पूरे बहत्तर बार
तुम हो तो साँसें अपनी मद्धम लय में आती जाती हैं
तुम पास न हो तो एक रत्ती फर्क नहीं पड़ता
तुम साथ हो हमेशा .. ये मेरी रईसी है
तृप्ति अगर ख़ुशी का सबसे खूबसूरत एहसास है तो
तुम तृप्त करते हो
तुम्हें दिन-रात याद नहीं किया जा सकता पर
तुम्हारे बिना जिया भी नहीं जा सकता
मैं संतुष्ट हूँ तुम्हारे साथ
बस... इतना ही कहना है