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इतनी बार बुरी तरह घायल / येव्गेनी येव्तुशेंको
Kavita Kosh से
द० ग० के लिए
इतनी बार
बुरी तरह घायल
हुआ हूँ मैं
इतनी बार हुआ हूँ जख़्मी
कि घर पहुँचा हूँ रेंगता हुआ
न सिर्फ़ मुझे
पीटा गया है डाहवश
बल्कि कभी-कभी तो
मैं घायल हो गया हूँ
गुलाब की कोमल पँखुरी से भी
मैंने भी
लोगों को घायल
किया है कभी-कभी
अचानक ही, बेध्यानी में
बेहद कोमलता के साथ
फिर कितनी पीड़ा हुई होगी उन्हें
मानो चल रहे हों वे
नंगे-पैर बर्फ़ पर
मैं क्यों चलता हूँ भग्नावशेषों पर
उन खंडहरों के मलबे पर
मेरे हृदय के अत्यन्त निकट हैं जो
जीवन में मुझे सबसे प्रिय हैं
कितनी सहजता से मैं
हो जाता हूँ जख़्मी
इतना गहरा
क्या उतनी ही सहजता से
मैं भी करता हूँ
लोगों को घायल?