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इतिहासबद्ध / कैलाश वाजपेयी
Kavita Kosh से
बदसूरत यादों
बेहूदी घटनाओं
अनचाहे योगों का
एक बड़ा फूहड़-सा खोल मढ़ गया है
(जीवन में)
हम अवश जिसे भीतर भुनग रहे
खोल की दिशा में दुनक रहे
जैसे आकाश में
किसी एक पक्षी को
बादल का टुकड़ा चौतरफा घेर ले
भीतर बस
पक्षी भर
आसमान
रह जाए।
और यों
बादल भी उड़ा करे
पक्षी भी।