भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इतिहास-ज्ञान (ग़ज़ल) / अछूतानन्दजी 'हरिहर'
Kavita Kosh से
वेद में भेद छिपा था, हमें मालूम न था।
हाल पोशीदा रखा था, हमें मालूम न था॥
कदीम वासी हैं हम, हिंद के असली स्वामी।
हमारा राज यहाँ था, हमें मालूम न था॥
विष्णु ने छल के बली, देश ले लिया जब से।
वंश ये नीचे गिरा था, हमें मालूम न था॥
ब्राह्मणी पोथी पुराणों में, निरी भर उलझन।
फसाना जाली रचा था, हमें मालूम न था॥
मनु ने सख्त थे कानून बनाये 'हरिहर' ।
पढ़ाना कतई मना था, हमें मालूम न था॥