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इतिहास के ये कौन से छंद है ? / सांवर दइया

इतिहास के ये कौन से छंद है ?
आज कारखाने, कल शहर बंद हैं!

सांझ के कुहासे को क्या दोष दें,
दिन में सूरज फैला रहा धुंध है।

खुली हवा मांगने गये तो देखा,
दयानतदार दुनिया बहुत तंग हैं!

अपनी नीतियां कभी बताते नहीं,
गालियां उगलते आज सब मंच हैं।

एक-दूसरे को लतिया रहे सभी,
चारों तरफ फैल रही दुर्गंध है।