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इतिहास / तुलसी रमण
Kavita Kosh से
यहीं कहीं शहर में खो गये
खेत-खलिहान संग
राजा जुनगा के तेरह गाँव
जाखू की परिक्रमा में गूँजती
विलायती कुत्तों की भोंक
गोरी मेमों की कामुक किलकारियाँ
अभी-अभी भागा है सीढ़ियों से
मालरोड़ झाँक कर
पुलिस के भय से भोला पहाड़िया
पृथ्वी के गर्भ से गुज़र कर एक सौ तीन बार
आगे-आगे चला आया कालका से
अपनी सोठी लिये निरक्षर बाबा भलकू
चली आई हाँफती पीछे पालतू कुतिया
लाट साहब की रेल
देर रात चलता रहा 'गएटि' में नाच
पटरियों संग बिछा भलकू का दिमाग़
भलकू= एक पहाड़ी मज़दूर जिसने कालका-शिमला रेल-लाईन का सर्वे महज़ अपनी सोठी के सहारे कर दिया था।