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इति-इति पुड़िया, पकड़ कनैठिया / अमरेन्द्र

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इति-इति पुड़िया, घीयोॅ मेॅ चपोड़िया, मैदा के धूमधाम ना
हाय राम मैदा के धूलधाम ना, हाय राम मैदा के धूमधाम
इति-इति पुड़िया, पकड़ कनैठिया ना
मिली-जुली खैबै, घुमी-फिरी ऐबै टोला के टोला ना
हाय राम टोला के टोला ना, हाय राम टोला के टोला
घूमी-फिरी ऐबै, धूम मचैबै ना
पहलें जैबै पुवारी टोलोॅ मंटू काका कन ना
हाय राम जोगी चाचा कन ना, हाय राम तनकू चाचा केॅ
गोॅड़ लागबै, मिठ्ठोॅ खिलैतै ना
पछियारी टोला मेॅ सबसें पहलें पुरहैत चाचा कन ना
हाय राम फेरू वहाँ सेॅ ना, हाय राम फेरू वहाँ सेॅ
मिसिर काका कन खेला खेलबै ना
देखी-देखी हाँसतै, आपनो खेलतै हमरोॅ संग मेॅ ना
हाय राम कन्हा चढ़ैतै ना, हाय राम माथोॅ पर हमरोॅ
हाथ रखी केॅ आशिषो देतै ना
उतराहा टोलोॅ के मंडल बाबा केॅ गोड़ो भी लागबै ना
हाय राम खानो भी खैबै ना, हाय राम हुनकोॅ बैठैबै
आपनोॅ बैठबै, खिस्सो भी सुनबै ना
दखनाहा टोलोॅ के गोपी दादा कन जैबै, पर बोलबै नै
हाय राम गोड़े धरी केॅ ना, हाय राम कानबै खाली
बोलबै गाँव केॅ कैहनें बिसरलौ ना
आबेॅ नैं जइहोॅ हो गोपी दा, धरी भरी पांजोॅ कहबै ना
हाय राम कानी-कानी कहबै ना, हाय राम बीजू वन नै
जइहोॅ दादा हमरा बिसारी ना
गामे हभांक हेनोॅ लागै छै दादा, टोले नै खाली ना
हाय राम घोॅरे नै खाली ना, हाय राम गाँमे मेॅ रहोॅ
गेलोॅ बुलाबोॅ, मेला लगाबोॅ ना ।