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इधर कई दिनों से / इधर कई दिनों से / अनिल पाण्डेय

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दिशा गये हैं भूल इधर का
कई कई लोग
आजकल कई कई दिनों से
कई कई लोगों को खोजता हूँ
हर दिशाओं में
इधर कई कई दिनों से

आओ मेरे देश
तुम जिन्दा हो तो आएँगे सब
कई कई दिनों बाद भी
बुझे चेहरे खिलेंगे संग तुम्हारे होने पर
बिखरे हुए मिलेंगे
तुम रहोगे तो हिलेंगे अपने अपने दरबे से

मेरे देश तुम जिन्दा हो
यह विश्वास नहीं हो रहा इधर
आजकल कई कई दिनों से