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इन्क़्लाब-1 / अनिल पुष्कर
Kavita Kosh से
राजा ने जनदरबार लगाया
कथा सुनाई --
एक देश था रूस
इन्क़लाब की ख़ातिर उसने युद्ध लड़े
लोग मरे, गैलनों ख़ून बहा, हत्याएँ हुई
वो क्या इन्क़लाब था ?
जब हमारे पुरखों ने क्रान्ति-बीज देखे, अंकुर फूटे, फल लगे,
और फलों में फिर फूटे क्रान्ति-बीज
वो इन्क़लाब था ? या
वो कुदरती माया थी
जब सन्तानों ने ज़मीन रोपी
बीज डाले, खेती की और फ़सल उगी
असल में
एक इन्क़लाब आया
वो बोला --
इन्क़लाब के मानी हैं क्या
गुल-शोर मचाना, हुल्लड़ करना
नारे-वारे, तोड़-फोड़ और राजा बदलना ?
मैं पूछता हूँ
इन्क़लाब ऐसे आता है साथी ?