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इन्तज़ाम / हरिओम राजोरिया
Kavita Kosh से
देश में यह कैसा इन्तज़ाम?
एक आदमी के पास घर नहीं
एक के पास पाँच-पाँच मकान
एक आदमी के पास इस्पात की तिजोरियाँ
कपड़ा, गहना, गुरिया सामान ही सामान
एक के पास चीथड़ों की पोटली
पायजामें में फटी जेबें
इन्तज़ार, तिरस्कार, अभाव और अपमान
देश में यह कैसा इन्तज़ाम?
भूख की मार से जहाँ मर जाएँ लोग
ग़म खाकर जहाँ ठहर जाएँ लोग
इतने आ गए और न आएँ लोग
बच गए कहाँ जाएँ वे लोग
जब कोई दवा करती न हो काम
देश में यह कैसा इन्तज़ाम?