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इन्तज़ार कीजिए / मिथिलेश श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
इन्तज़ार कीजिए कि लौटे आपका दिन
और आपके हाथ में सत्ता हो
और आप कर सकें दमन
सोचिए कि सच का समय अभी आना बाक़ी है
इसलिए जो है उसी के कन्धे पर बैठकर चलिए
फ़रेब को सीने से लगाकर
जितनी मौज कर सकते हैं
करिए
सोचिए मत
शिकायत कीजिए
कि वह ज़माना नहीं रहा
कि आदमी पसीने से तरबतर हो जाए
बहे पसीने में षड़्यन्त्र सूँघिए
ख़बर जो कल अख़बार में छपेगी
आदमी जो कल बोलेगा
उस पर ध्यान दीजिए
क्योंकि वही सब आपके दिन लौटने के सबूत होंगे ।