इन्सानां पै करा दिये भाई के-के काम बख्त नै / मेहर सिंह
सत की बांदी मिलै लक्ष्मी मतना छोड़ा सत नै
इन्सानां पै करा दिये भाई के-के काम बख्त नै।टेक
एक बख्त म्हं राज मिल्या सुणो हरिशचन्द्र की कहाणी
एक बख्त म्हं रूक्का पड़ग्या कोन्या सत की बाणी
एक बख्त म्हं तीनों बिकगे लड़का राजा राणी
एक बख्त म्हं भरणा पड़ग्या घर भंगी के पाणी
आंसूं तै पड़ैं टूक घुटणे यो इसी बणादे गत नै।
एक बख्त म्हं नल राजा के मन की खिलगी बाड़ी
एक बख्त म्हं पासे बणकै नल की हवा बिगाड़ी
एक बख्त म्हं दमयन्ति के चाले कर्म अगाड़ी
एक बख्त म्हं इसी सुवादी बण म्हं काटी साड़ी
सोचै कुछ और करदे कुछ यो इसी मारदे मतनै।
एक बख्त म्हं तख्त हजारा रांझा पीर बनाया
एक बख्त म्हं पीर की गेल्यां रांझा हीर बनाया
एक बख्त म्हं पाली ला दिया सीर का चीर बनाया
एक बख्त म्हं छूट्या द्वारा परम फकीर बनाया
एक बख्त म्हं महल बना दे यो तलै गिरादे छत नैं।
एक बख्त म्हं पाणा पड़ज्या एक म्हं पड़ज्या खोणा
एक बख्त म्हं हंसणा पड़ज्या एक म्हं पड़ज्या रोणा
एक बख्त म्हं जागू रहणा एक म्हं पड़ज्या सोणा
एक बख्त म्हं मिली बरेली एक म्हं मिल्या बरोणा
यो मेहरसिंह नै भी बख्त सेधग्या पढ़-पढ़ रोया खत नैं।