भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इन्हीं लोगों ने ले लीन्हा दुपट्टा मेरा / मजरूह सुल्तानपुरी
Kavita Kosh से
इन्हीं लोगों ने, इन्हीं लोगों ने
इन्हीं लोगों ने ले लीना दुपट्टा मेरा
हमरी न मानो बजजवा से पूछो
हमरी न मानो सैंया ... बजजवा से पूछो
जिसने ... जिसने अशरफ़ी गज़ दीना दुपट्टा मेरा
हमरी न मानो रँगरजवा से पूछो \-२
जिसने गुलाबी रँग दीना दुपट्टा मेरा
इन्हीं लोगों ने, इन्हीं लोगों ने
इन्हीं लोगों ने ले लीना दुपट्टा मेरा
हमरी न मानो सिपहिया से पूछो \-२
जिसने बजरिया में छीना दुपट्टा मेरा
दुपट्टा मेरा, दुपट्टा मेरा
इन्हीं लोगों ने, इन्हीं लोगों ने
इन्हीं लोगों ने ले लीना दुपट्टा मेरा