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इन्हीं से की जाती हैं ईमान की बातें / केशव तिवारी
Kavita Kosh से
इतने रंगों में एक रंग है
गहरे अवसाद का
बबुल के काले खुरदरे तने-सा
छिमिया रही है अगहनी
हरी अरहर पीले फूलों की
धज के साथ
पर एक ही रंग सबसे
गहरा और स्थाई है
न ही काल्ले में ताकत कम है
न ही मिट्टी में उपज
सुखों की पैमाईश में
इनका हिस्सा
औरों के नाम चढ़ा दिया है
बेईमान पटवारी ने
इन्होने पिलाया प्यासों को पानी
भूखों को दिया भोजन
जीवन-भर डटे रहे
दुखों के सामने
इन्हीं से की जाती हैं
ईमान की बातें
इन्हीं से धीरज की
इन्हीं को दिलाया जाता है
ईश्वर पर भरोसा |