भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इन प्यार की बातों से / आनंद कुमार द्विवेदी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरे यार की बातों से, इजहार की बातों से ,
हंगामा तो होना था, इन प्यार की बातों से !

मैं वो ग़मजदा नहीं हूँ हैरत न करो यारों,
मैं जरा बदल गया हूँ , इकरार की बातों से !

वो उदास सर्द लम्हे, तनहाई ग़म की किस्से,
मेरा लेना देना क्या है, बेकार की बातों से !

वो कशिश वो शोखियाँ वो, अंदाजे हुश्न उनका
फुरसत कहाँ है मुझको , सरकार की बातों से  !

मेरी धडकनों पे काबिज ..मेरी रूह के सिकंदर,
मेरा दम निकल न जाए, इनकार की बातों से !

तेरा रह गुजर नहीं हूँ, ...ये खूब जानता हूँ
तेरे साथ चल पड़ा हूँ , ..ऐतबार की बातों से  !

‘आनंद’ मयकदे तक पहुंचा तो कैसे पंहुचा ?
ये राज खुल न जाए, तकरार की बातों से !