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इब्तिदा-ए-फ़स्ल-ए-बाराँ के नाम / रेशमा हिंगोरानी
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हर लुत्फ़ अकेले ही उठाने में जुटा है...
बदली की सब अँगडाइयाँ,
बिजली की सब आराइयाँ !
ले दे के मेरे पास क्या,
बाकी ये बचा है...
सूखी सी कुछ जुदाइयाँ,
भीगी सी कुछ रुबाइयाँ !