इब्न गाबिरोल – 11वीं सदी के अन्दालुसियाई कवि व यहूदी दर्शन शास्त्री, जिनका सिद्धान्त था कि बुद्धि व आत्मा सहित सबकुछ पदार्थ और आकार से बना है
कभी पीब
कभी एक कविता ।
कुछ न कुछ हमेशा फूटकर निकलती है ।
और हमेशा दर्द ।
मेरे बाप-दादाओं के जंगल में एक पेड़ था
हरे कपासी ऊन मे लिपटा हुआ ।
ओह, हाड़मांस की विधवाएँ, ख़ून के यतीम,
मुझे बच निकलना है ।
टीन ओपनर जैसी तेज़ आँखों ने
बोझिल रहस्यों को खोल दिया ।
लेकिन मेरे सीने के घाव से होकर
भगवान दुनिया में घुस आया ।
मैं दरवाज़ा हूँ
उसके बसेरे का ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य