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इलाज पति का / रणवीर सिंह दहिया

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पांच हजार मनै उधारे दे दे पति मेरा बीमार हुया॥
मैडीकल मैं पड़या तड़पै घणा मोटा त्यौहार हुया॥
1
दो बोतल खून मांग्या, डाक्टरां नै परेशन बोल दिया
न्यों बोले मोल नहीं बिकता यो भेद तमाम खोल दिया
एक बोतल तै मेरा काढ़या दूजी का पांच सै मोल दिया
एक दो तै खावण नै आये, ओ बिचला मदद गार हुया॥
2
पन्द्रह हजार खर्चा आया, ओ काम जोगा रहया नहीं
मरणे तै तो बचग्या फेर दरद उंपै जान्ता सहया नहीं
ल्हुकमा सुलफा दारू पीज्या जावै कुछ बी कहया नहीं
सारे ताणे तुड़ा कै देख लिए जाता और फहया नहीं
जिसकै घर बर्तन मांजूं उंकै साहरै घर बार हुया॥
3
एक दिन मनै अपणा दुखड़ा बहन जी आगै रोया
वकील पति नै बेरा लाग्या उसनै अपणा धीरज खोया
शाम सबेरी करै वो इशारे दिल मेरा घणा दुखी होया
एक दिन करी छेड़खानी उनै बीज बिघन का बोया
दुनिया उनै कहै देवता पर मेरा जीना दुश्वार हुया॥
4
तिरूं डूबूं जी मेरा होग्या किस आगै दुख रोउं मैं
वकील का करूं सामना तै सारे कुणबे की रोटी खोउं मैं
चुपकी रहूं तो उसकी बदफेली का शिकार होउं मैं
और कितै नहीं साहरा दीखै रणबीर पै मुंह धोउं मैं
सुण्या सै गरीबां का यो बरोने मैं मददगार हुया॥