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इल्म-ओ-इश्क़ / इक़बाल
Kavita Kosh से
इल्म ने मुझ से कहा इश्क़ है दीवानापन
इश्क़ ने मुझ से कहा इल्म है तख़मीन-ओ-ज़ाँ
बन्द-ए-तख़मीन-ओ-ज़ान ! किर्म-ए-किताबी ना बन
इश्क़ सरापा हुज़ूर, इल्म सरापा हिजाब !
इश्क़ की गरमी से है मार्का-ए-कायनात
इल्म मक़ाम-ए-सिफ़ात, इश्क़ तमाशा-ए-ज़ात
इश्क़ सुकून-ओ-सबत, इश्क़ हयात-ओ-ममत
इल्म है पैदा सवाल, इश्क़ है पिनहाँ जवाब !
इश्क़ के हैं मौजाज़त सल्तनत-ओ-फ़क़्र-ओ-दीन
इश्क़ के अदना ग़ुलाम साहिब-ए-ताज-ओ-नगीन
इश्क़ मकान-ओ-मकीन, इश्क़ ज़मान-ओ-ज़मीन
इश्क़ सरापा यक़ीन, और यक़ीन फ़तह-ए-बाब
शरा-ए-मौहब्बत में है इश्रत-ए-मंज़िल हराम
शोरिश-ए-तूफ़ान हलाल, लज़्ज़त-ए-साहिल हराम
इश्क़ पे बिजली हलाल, इश्क़ पे हासिल हराम
इल्म है इब्न-उल-किताब, इश्क़ है उम्म-उल-किताब