इल्म से कल हो सुनहरा ये बताया जाए
मुल्क़ के हर किसी बच्चे को पढाया जाए
दौलत ए इल्म जो बख्शी हैं ख़ुदा ने हमको
बाँट कर इसको ज़माने में बढाया जाए
हो ये हीरे की तरह ऐसा तराशो इनको
इस तरह फन से ज़माने को सजाया जाए
सिर्फ सच्चाई को ईमान बना कर इनकी
इनके क़िरदार को आइना बनाया जाए
ईट के संग के लोहे के बियाबां से दूर
गावं के बेच नया शहर बसाया जाए
गर इबादत है 'सिया' फ़र्ज़ करें हम ऐसे
इनका जो हक़ हैं इन्हें बढ़ के दिलाया जाए