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इश्क़ इबादत - 3 / भवेश दिलशाद

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इक तमन्ना है इक इबादत है
दोनों मिलते हैं आस्मानों में

तू कोई लफ़्ज़ है मैं मानी हूँ
तू समंदर है और मैं पानी हूँ
तू समय मैं तेरी रवानी हूँ
तू है लाफ़ानी तो मैं सानी हूँ
तू कोई नज़्म है मैं लय तेरी
हम मचलते हैं दो जहानों में

तू सफ़र है तो रास्ता हूँ मैं
तू है मंज़िल तेरा पता हूँ मैं
तू कोई जश्न है मज़ा हूँ मैं
तू कोई जाम है नशा हूँ मैं
तू कोई शम्अ है मैं लौ तेरी
दोनों जलते हैं शम्अख़ानों में

तू मेरी सोच मैं ख़याल तेरा
तू मेरा फ़न है मैं कमाल तेरा
तू मेरी बोली मैं ज़ुबान तेरी
तू मेरी रूह है मैं जान तेरी
तू दुआ है कोई मैं आयत हूँ
चल कि चलते हैं आस्मानों में