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इश्क़ की राह में तुम्हें खोना / सुरेखा कादियान ‘सृजना’
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इश्क़ की राह में तुम्हें खोना
मौत की तरह ज़िन्दगी होना
आज मिल जा किसी बहाने से
कल मुनासिब नहीं मिरा रोना
मान ले ज़िन्दगी मुहब्बत को
साँस के साथ फिर इसे ढोना
दिल बना है तेरा,मेरी दुनिया
इश्क़ में पा लिया है ये कोना
ख़्वाब आएँ नहीं मुझे तेरे
तो गुनाहों सा फिर हुआ सोना
उग गए प्यार के कई पौधे
ये कहा था कि ख़्वाब मत बोना