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इश्क़ ने छू लिया मौजों में रवानी आयी / रंजना वर्मा

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इश्क़ ने छू लिया मौजों में रवानी आयी
फूल खिलने लगे पेड़ों पे जवानी आयी

है बहार आयी तो हर ज़र्रे से अँखुआ फूटा
खेत हँसने लगे रुत ऐसी सुहानी आयी

छू लिया तू ने तो लहरा गयी नदिया जैसे
सोच सोयी थी मगर याद पुरानी आयी

चाहता है कि वो बनवा ले कोई ताजमहल
जब से आग़ोश में है हुस्न की रानी आयी

कोशिशें लाख कीं लेकिन है मिली मायूसी
जिस की किस्मत में नहीं कोई निशानी आयी
 
जिंदगी जैसे रंगमंच बनी उल्फ़त का
एक राधा कहीं इक मीरा दिवानी आयी
 
एक अहसास है ये इश्क़ न छूना इसको
है इसी हद में ज़माने की कहानी आयी