इश्क़ भी क्या बबाल है साहब / चेतन दुबे 'अनिल'

इश्क़ भी क्या बबाल है साहब!
यह कुदरती कमाल है साहब!

दो दिलों में ये पैदा होता है
इसमें गलती न दाल है साहब!

इश्क़ परवान जो न चढ़ पाए
दिल को होता मलाल है साहब!

इश्क़ का भूत सिर पे बोल गया
तब से घोड़े - सी चाल है साहब!

इश्क़ का पेंच बहुत ऊँचा है
जान लेना ये जाल है साहब!

इश्क़ में घर जला लिया अपना
कोई दूती दलाल है साहब!

ज़िन्दगी को शऊर बक्सेगा
ऐसा मेरा ख़याल है साहब!

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