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इश्क़ में अब भी वफ़ा मौजूद है / रंजना वर्मा

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इश्क़ में अब भी वफ़ा मौजूद है
दोस्ती का सिलसिला मौजूद है

क्यों करें कुर्बान कोई जानवर
बाग़ जब फल से लदा मौजूद है

खूब करना गुफ़्तगू पर सोच लो
हर जगह इक भेदिया मौजूद है

हैं अँधेरा बढ़ रहा तो क्या हुआ
घर में मिट्टी का दिया मौजूद है

चाहिये मंदिर या मस्जिद किसलिये
हर जगह जब वह खुदा मौजूद है

क्या भला होगा गले लगकर कहो
जब दिलों में फ़ासला मौजूद है

एक दिन मंजिल मिलेगी ही हमें
क्यूंकि अब तक रास्ता मौजूद है