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इसके पहले / स्वप्निल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
इसके पहले कि घोड़े बिदक जाएँ
अपने हाथ में मज़बूती से
रखो लगाम
रकाब पर जमाए रहो अपने पाँव
कभी – कभी पीठ पर फटकारते
रहो कोड़े
इन घोड़ो का नहीं है कोई ईमान
जो इन्हें घास दिखाता है
उसी तरफ़ दौड़े चले आते हैं
हर दौर में होते है
अच्छे – बुरे घोड़े
कुछ घोड़े युद्ध के वफ़ादार
सैनिक होते हैं
कुछ घोड़े पीठ से उछाल कर
अधबीच रास्ते में छोड़ देते हैं
जोख़िम से भरा हुआ है
घोड़ों का इतिहास
इसलिए अच्छी नस्ल के घोड़े
चुने
अन्यथा बुरे घोड़े तुम्हें
रौंद देंगे