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इससे पहले कि / कुमार राहुल
Kavita Kosh से
इससे पहले कि
समन्दरों की तलाशी हो
और निकली जाए जिन्दा लाशें
इससे पहले कि
ज़र्फ़ का कोई पहलू
होने लगे कुछ और नुमायाँ
इससे पहले कि
याद का कोई कतरा
रिसने लगे
उदासी के कमरे से
इससे पहले कि
धुंए ढांप लें
सांस के शहर को
इससे पहले कि
ज़मींदोज़ हो
तवक्को को लपेटे उम्र
इससे पहले कि
कहानियाँ दोहराई जाएँ
और नादिम हों
किरदार
इससे पहले कि
दार पर पिघले
नया बिलकुल नया
इक ख़्वाब
इससे पहले कि
जिंदगी खींचें
क़ज़ा के आखिरी क़श
इससे पहले कि
लरज़ने लगे
नाकिदों के गुफ़्तार
इससे पहले कि
कुछ और नौमेद हों
जिन्दगी से हम
तुम चले आना...